
लिवर सिरोसिस क्या है?
लिवर सिरोसिस एक क्रॉनिक और गंभीर लिवर बीमारी है, जिसमें लिवर के स्वस्थ टिश्यू धीरे-धीरे डैमेज हो जाते हैं और घाव बनते हैं। यह बीमारी चरणबद्ध तरीके से बढ़ती है और जब सिरोसिस का अंतिम स्टेज आता है, तब लिवर अपनी पूरी कार्यक्षमता खो देता है। इसे डीकंपेंसेटेड सिरोसिस कहा जाता है, जिसमें लक्षण बहुत गंभीर हो जाते हैं।
सिरोसिस से पहले लिवर में फैटी लिवर की स्थिति आती है, जो शुरुआती संकेत है। इसे खान-पान में सुधार और नियमित व्यायाम से ठीक किया जा सकता है, लेकिन आखिरी स्टेज में ऐसा होना मुश्किल होता है और लिवर ट्रांसप्लांट ही आखिरी विकल्प बनता है।
सिरोसिस के लास्ट स्टेज के प्रमुख लक्षण
- त्वचा और आंखों का पीला पड़ना
शरीर में बिलीरुबिन का बढ़ना त्वचा और आंखों को पीला कर देता है, जो लिवर फेल होने का संकेत होता है। - गहरे रंग का पेशाब और हल्के रंग का मल
पाचन तंत्र प्रभावित होने के कारण पेशाब गाढ़ा और मल का रंग हल्का पड़ जाता है। - त्वचा या पलकों पर छोटे-छोटे पीले धब्बे
वसा के ये डिपॉजिट्स लिवर फंक्शन खराब होने का संकेत हैं। - हाथ, पैर, टांगों या चेहरे में सूजन (एडिमा)
लिवर द्वारा प्रोटीन का उत्पादन कम होने से शरीर में तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे सूजन होती है। - पेट का फूलना
अस्साइटिस नामक स्थिति में पेट में पानी भर जाता है, जो सिरोसिस का गंभीर लक्षण होता है।
लिवर सिरोसिस का इलाज
सिरोसिस का इलाज उसके कारण, बीमारी के स्टेज और शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है। डॉक्टर शारीरिक लक्षणों को दवाओं और डाइटरी बदलाव के माध्यम से नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, क्योंकि सिरोसिस आमतौर पर रिवर्सिबल नहीं होती।
अत्यधिक गंभीर मामलों में, लिवर ट्रांसप्लांट ही इलाज की अंतिम और कारगर विधि होती है।
सिरोसिस के इन लक्षणों को नजरअंदाज न करें और जब भी इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे, तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें ताकि समय रहते उचित इलाज शुरू हो सके और लिवर की क्षति को बढ़ने से रोका जा सके।