शहर की सड़कों पर गाड़ी चलाना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है ट्रैफिक नियमों का पालन करना—यह बात सभी जानते हैं। पुलिस का काम समाज में व्यवस्था बनाए रखने और लोगों की सुरक्षा के लिए होता है, पर कई बार जिम्मेदारी का यह चोला खुद मनमानी और धौंस में बदल जाता है। हाल ही में ऐसी ही एक घटना सामने आई, जिसने आम आदमी की बेबसी और वर्दी की शक्ति के सच को उजागर कर दिया।
यह तस्वीर थी झारखंड के एक शहर की, जहां चौराहे पर दो ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात थे। आम दिनों की तरह सड़क पर चेकिंग हो रही थी। एक बाइक सवार अपने दोस्त के साथ रुकता है—उसका गुनाह बस इतना था कि वह इस चौराहे से गुजर रहा था। अचानक, एक पुलिसवाले ने उसका हेलमेट छीन लिया। बिना वजह कोई सवाल, समझाए बिना टोका-टाकी। दूसरा वर्दीधारी मोबाइल से इस पूरी घटना का वीडियो बनाता रहा, जैसे अपराधी वही बाइक वाला हो।

राइडर का दोस्त पास ही खड़ा था, उसने तेजी से अपने फोन में यह पूरी घटना रिकॉर्ड कर ली। बाद में यह वीडियो देखते ही देखते इंटरनेट पर फैल गया। लाखों लोगों ने इसे देखा और हैरानी से पूछा—क्या वर्दी में होते ही इंसान अपना इंसानियत भूल जाता है? क्या किसी चौराहे पर हेलमेट छीनना या फर्जी चालान काटना ही पुलिस व्यवस्था है?
वीडियो पर कमेंट्स की बाढ़ आ चुकी थी—कोई बोला “ये खुलेआम गुंडागर्दी है”, कोई कह रहा था “वर्दी पहनकर जब मनमर्जी हो, तो जनता क्या करे?” कुछ ने लिखा, “चालान करने का भी तरीका होता है, यह तो सरासर जबरदस्ती है।” हर किसी के दिल में एक ही सवाल था—रक्षक कब भक्षक की तरह बर्ताव करने लगे?
कहानी का संदेश:
कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी बड़ी है, लेकिन उस वर्दी में छुपी इंसानियत कभी नहीं मरनी चाहिए। आम जनता की गरिमा, उसके आत्म-सम्मान और अधिकारों का पालन तब ही होगा, जब वर्दीधारी अपने कर्तव्य के साथ संवेदनशीलता भी निभाए। ट्रैफिक उल्लंघन पर दंड जरूरी है, पर ज़बरदस्ती, अपमान या धौंसदिखाऊ रवैया नहीं। समाज में भरोसा तभी बचेगा, जब सिस्टम इंसाफ और इज्ज़त को साथ लेकर चले।