
भारतीय पौराणिक कथाओं में रावण और भगवान शिव से जुड़ी कई कहानियाँ प्रचलित हैं। उन्हीं में से एक कथा है मधुरा नामक अप्सरा की, जो रावण की पत्नी मानी जाती थी। ऐसा कहा जाता है कि मधुरा, भगवान शिव की ओर आकर्षित हो गई थी और इसी कारण उसे माता पार्वती के क्रोध का सामना करना पड़ा था।
यह कथा न केवल त्रेतायुग की रहस्यमयी घटनाओं का परिचय कराती है, बल्कि श्राप और मोक्ष के गहरे संदेश को भी उजागर करती है।
कौन थी मधुरा?
मधुरा स्वर्ग की एक अप्सरा थी, जो अपनी अनुपम सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी। उसकी उपस्थिति इतनी मोहक थी कि देवता और असुर सभी उसके रूप के दीवाने थे। पौराणिक कथाओं में उसे रावण की पत्नी माना गया है। कहते हैं कि मधुरा का हृदय पवित्र था, लेकिन उसकी भगवान शिव के प्रति आकर्षण ने उसे कठिनाइयों में डाल दिया। यह भी कहा जाता है कि मधुरा असल में मंदोदरी का ही पिछला जन्म थी। अपने नए जन्म में मंदोदरी असुर मयदानव और हेमा की पुत्री थीं।
भगवान शिव पर मोहित होने की कथा
एक बार मधुरा नामक यह अप्सरा घूमते हुए कैलाश पर्वत पर पहुँच गई। उसने वहाँ पर भगवान शिव को तपस्या में लीन देखा। भगवान शिव को देखकर वह उन पर मोहित हो गई। इसी कारण वह उनकी तपस्या को भंग करने और उनसे बात करने की कई बार कोशिश करती रही, परंतु वह अपने काम में असफल रही।
इतने में वहाँ पर माता पार्वती पहुँच जाती हैं। अपने पति की तपस्या को भंग होते देखकर वह मधुरा पर अत्यधिक क्रोधित हो जाती हैं।
श्राप का परिणाम और मोक्ष
माता पार्वती ने क्रोधित होकर मधुरा को श्राप दिया कि वह मेंढक बन जाएगी और किसी कुएँ में रहेगी। माता पार्वती के क्रोध को देखकर मधुरा उनसे क्षमा माँगने लगती है। जब दुखी मधुरा ने माता पार्वती से गुहार लगाई, तो माता पार्वती ने कहा कि “तुम तप करके अपने रूप में वापस आ सकती हो।”
मधुरा ने तप किया और श्राप मुक्त हो गई। इसके बाद वह कुएँ से बाहर निकलने के लिए आवाज़ देती है। उसी जगह पर संतान प्राप्ति के लिए तप कर रहे मयसुर और हेमा मधुरा को कुएँ से बाहर निकालते हैं और उसे गोद ले लेते हैं। वे मधुरा का नाम मंदोदरी रखते हैं, और बाद में उसका विवाह लंकापति रावण से होता है।
यह कथा दर्शाती है कि कैसे एक क्षणिक आकर्षण के कारण भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं, लेकिन तपस्या और पश्चाताप से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
क्या आप रावण की पत्नी मंदोदरी के इस पिछले जन्म की कहानी से परिचित थे?