अमेरिका और भारत के बीच व्यापार युद्ध गहराता दिख रहा है, लेकिन इस बार कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट आया है! अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% आयात शुल्क लगाने का ऐलान किया था, यह सोचकर कि शायद इससे भारत दबाव में आ जाएगा। लेकिन असली खेल तब शुरू हुआ जब रूस बिना नाम लिए भारत के लिए ढाल बनकर खड़ा हो गया, और दुनिया को सीधे संदेश दिया कि “जो करना है कर लो, अब फर्क नहीं पड़ता।” इस एक बयान ने अमेरिका को हिला कर रख दिया है।

ट्रंप का ‘बंकर बस्टर’ बिल और रूस का करारा जवाब
ट्रंप का मकसद साफ था: भारत को डराना, दबाव बनाना और रूस से उसकी रणनीतिक साझेदारी को तोड़ना। लेकिन बात यहीं नहीं रुकी। सूत्रों की मानें तो अमेरिकी कांग्रेस में भारत जैसे देशों पर 500% तक के टैरिफ वाला ‘बंकर बस्टर बिल’ लाने की तैयारी चल रही है।
हालांकि, इस बार भारत ने झुकने की बजाय खामोशी के साथ मैदान तैयार किया, और उसका दोस्त रूस मैदान में आ गया। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि “हम इतने वर्षों से प्रतिबंध झेलते आ रहे हैं कि अब हमारी अर्थव्यवस्था को इसकी आदत हो गई है।” यह सिर्फ एक वाक्य नहीं, बल्कि अमेरिका की ट्रेड रणनीति के चेहरे पर एक करारा तमाचा था। इसके बाद रूस की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़ाखारोवा ने भी कहा कि अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी इतने दोहराए जा चुके कदम उठा रहे हैं कि वो अब “ऊबाऊ” लगने लगे हैं।
रूस का ‘कूटनीतिक संकेत’: भारत को अकेला मत समझो!
बिना भारत का नाम लिए रूस ने अमेरिका को दो टूक कह दिया कि “हम उनके साथ खड़े हैं।” इसे ही कूटनीति की भाषा में ‘स्ट्रेटेजिक मैसेजिंग विदआउट एट्रिब्यूशन’ कहते हैं – न दोस्ती का ढोल, न बयानबाजी, बस सीधा संकेत कि भारत को अकेला मत समझो।
भारत की ‘साइलेंट शील्ड’: क्यों नहीं है घबराया?
ट्रंप का टैरिफ आ गया है, लेकिन भारत शांत है। न कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस, न कोई ट्वीट वॉर। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत ने पिछले तीन सालों में एक ‘साइलेंट शील्ड’ (Silent Shield) तैयार कर ली है:
- रुपे-रूबल ट्रांजैक्शन: भारत ने डॉलर को दरकिनार कर दूसरी मुद्राओं में व्यापार करना शुरू कर दिया है, खासकर रुपी-रूबल ट्रांजैक्शन के जरिए।
- बहुस्तरीय ट्रेड नेटवर्क: भारत अब यूएई, सऊदी अरब, अफ्रीका, और मध्य एशिया के साथ गहरे व्यापारिक रिश्ते बना चुका है। इसका मतलब है कि अगर कोई एक दरवाजा बंद होगा, तो दस नए दरवाजे खुलेंगे।
- स्ट्रेटेजिक पेट्रोलियम रिजर्व (SPR): रूस से सस्ते खरीदे गए तेल को भारत अपने एसपीआर में स्टोर कर रहा है, जिससे युद्ध जैसे हालात में भी 60 दिनों की एनर्जी सिक्योरिटी बनी रहेगी।
- तकनीकी और रक्षा सौदे: जहां अमेरिका रोक लगा रहा है, वहीं भारत जापान, फ्रांस, रूस और यूएई जैसे देशों के साथ मिलकर 14 से अधिक टेक्नोलॉजी और रक्षा डील कर रहा है।
अमेरिकी संसद में लंबित 500% टैरिफ का बिल
रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% टैरिफ के प्रस्ताव वाला बिल अमेरिकी संसद में लंबित है। यह बिल रिपब्लिकन लिंडसे ग्राहम और डेमोक्रेटिक रिचर्ड ब्लूमेंथल लाए हैं, और इसे 100 में से 85 सीनेटरों का समर्थन है। इस पर सितंबर या अक्टूबर में वोटिंग होने की उम्मीद है। रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों सीनेटर रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों पर कड़े प्रतिबंधों (जिसे सेकेंडरी टैरिफ कहा जा रहा है) के पक्षधर हैं।
एशिया पैसिफिक फाउंडेशन के सीनियर फेलो माइकल कुगलमैन ने कहा कि भारत और रूस के बीच सैन्य साजो-सामान और तेल की खरीद पर ट्रंप ने पहली बार कोई कड़ा फैसला किया है। ट्रंप ने ‘रूस फैक्टर’ के मद्देनजर भारत पर पेनल्टी लगाई है। यह घोषणा एक तरीके से भारत के लिए बड़े झटके के समान है, खासकर तब जब ट्रंप के पहले कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके बीच बेहद नजदीकी संबंध थे।