बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं? जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्य!

बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं? जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक रहस्य!

बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं : बकरा ईद का त्यौहार इस्लामिक समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है ! इस त्यौहार में बकरे समेत कुछ जानवरों की कुर्बानी दी जाती है ! इस साल बकरा ईद यानी ईद उल अजहा भारत में 7 जून को मनाई जाएगी ! दस दिन पहले चांद दिखने के बाद तारीख का ऐलान किया गया था ! बकरा ईद ईद उल फितर के 2 महीने 9 दिन बाद मनाई जाती है ! बकरा ईद इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जुल-हिज्जा की दसवीं तारीख को मनाई जाती है ! इस लेख में हम आपको बताएंगे कि किस तरह के बकरे की कुर्बानी देनी चाहिए और किस पर कुर्बानी देना वाजिब है !

बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं

पैगंबर इब्राहिम की अल्लाह से मोहब्बत

बकरा ईद को कुर्बानी का प्रतीक माना जाता है ! यह परंपरा लंबे समय से चली आ रही है ! कुर्बानी देने की परंपरा इस्लाम के प्रमुख पैगम्बरों में से एक हजरत इब्राहिम की वजह से शुरू हुई थी ! ऐसा माना जाता है कि एक बार अल्लाह पैगंबर इब्राहिम के सपने में आए और उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज की कुर्बानी देने को कहा ! इब्राहिम अपने इकलौते बेटे इस्माइल से सबसे ज्यादा प्यार करते थे ! हजरत इब्राहिम 80 साल की उम्र में पिता बने थे ! लेकिन अल्लाह के हुक्म पर उन्होंने अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए हामी भर दी ! जैसे ही उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांधी और अपने बेटे की गर्दन पर चाकू रखा, उसकी जगह एक मेढ़ा प्रकट हो गया ! तभी से बकरा ईद का त्योहार मनाया जाने लगा !

बलि के बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं GK In Hindi

यह तो सभी जानते हैं कि बकरा ईद पर बकरे की कुर्बानी दी जाती है ! लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि बकरे की कुर्बानी देने से पहले उसके दांत गिने जाते हैं ! दरअसल, बकरे की उम्र दांत गिनकर तय की जाती है ! क्योंकि एक साल के बकरे की ही कुर्बानी दी जाती है ! उससे कम उम्र के बकरे की कुर्बानी जायज नहीं है ! जब बकरे के 4-6 दांत होते हैं तो माना जाता है कि वह एक साल का है ! अगर उसके दांत इससे कम हैं तो उसकी कुर्बानी नहीं होगी ! 6 से ज्यादा दांत होने पर भी बकरे की कुर्बानी जायज नहीं है ! दूसरे शब्दों में कहें तो बकरीद पर न तो नवजात और न ही बूढ़े बकरे की कुर्बानी दी जाती है !

बकरीद पर कुर्बानी से पहले बकरे के दांत क्यों गिने जाते हैं

राजगढ़ शहर काजी सैयद नाजिम अली नदवी ने ईटीवी भारत से फोन पर बात करते हुए कहा, बकरे के दांत देखकर या गिनकर यह नहीं देखा जाता कि उसके दांत हैं या नहीं ! बल्कि दांतों से उसकी उम्र का अंदाजा लगाया जाता है कि बकरा एक साल पूरा कर चुका है या नहीं ! क्योंकि कुर्बानी के लिए बकरे का एक साल का होना जरूरी है ! अगर उसके दो दांत हैं तो वह एक साल पूरा कर चुका है और अगर खुद पाला हुआ बकरा है और उसके दो दांत नहीं हैं और वह एक साल पूरा कर चुका है तो भी कुर्बानी जायज है !

General Knowledge किस तरह के बकरों की कुर्बानी दी जाती है

कुर्बानी के लिए बकरे खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है ! कुर्बानी के लिए जानवरों को आंख मूंदकर नहीं खरीदा जाता ! उन्हें खरीदने के कुछ नियम होते हैं ! जैसे कि कुर्बानी के लिए बकरा या कोई भी जानवर बीमार या घायल नहीं होना चाहिए ! बकरे के सींग टूटे नहीं होने चाहिए और वह एक साल का होना चाहिए ! जब आप बकरा खरीदने जाएं तो उसे अच्छी तरह से जांच लें कि वह बीमार तो नहीं है !

बीमारी का पता लगाना भी मुश्किल काम है ! लेकिन बीमारी का पता शरीर में होने वाले बदलावों से लगाया जा सकता है ! बकरे में होने वाली बीमारी ! अगर बकरे की आंखें हल्की गुलाबी या पूरी तरह से सफेद हो गई हैं, तो इसका मतलब है कि बकरे के पेट में परजीवी हैं जो उसका खून चूस रहे हैं ! ऐसा बकरा बिल्कुल न खरीदें ! कुर्बानी का बकरा और उसे काटने वाले का मुंह क़िबला (मक्का में काबा) की तरफ होना चाहिए !

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