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Dhirubhai Ambani Birthday: 300 की पहली नौकरी से हजारों करोड़ के बिजनेस बनाने तक, ऐसी रही है अंबानी की कहानी

धीरूभाई अंबानी

अंबानी परिवार का नाम आज न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सबसे अमीर और सफल परिवारों में लिया जाता है. इस प्रतिष्ठा की नींव धीरूभाई अंबानी ने अपने कठिन परिश्रम, संघर्ष और अद्वितीय दूरदृष्टि से रखी. उनका जीवन इस बात का प्रतीक है कि सीमित संसाधनों से भी बड़ी सफलताएं हासिल की जा सकती हैं.

प्रारंभिक जीवन और संघर्ष

धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के चोरवाड़ गांव में एक साधारण परिवार में हुआ. आर्थिक कठिनाइयों के कारण उन्हें दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी. 17 वर्ष की उम्र में परिवार की मदद के लिए उन्होंने यमन के अदन शहर में पेट्रोल पंप पर नौकरी शुरू की. वहां उन्हें 300 रुपये मासिक वेतन मिलता था. उनकी मेहनत और लगन से उन्हें जल्द ही फिलिंग स्टेशन पर मैनेजर के पद पर प्रमोट किया गया.

रिलायंस की शुरुआत

1954 में धीरूभाई भारत लौट आए. 500 रुपये की बचत और बड़े सपनों के साथ उन्होंने मुंबई के एक छोटे से कमरे से रिलायंस कॉमर्स कॉरपोरेशन की शुरुआत की. उनकी कंपनी भारत के लिए पॉलिस्टर धागा आयात करती और मसाले निर्यात करती थी. धीरे-धीरे उन्होंने व्यापार को बढ़ाया और 1966 में विमल ब्रांड के साथ टेक्सटाइल उद्योग में कदम रखा. यह ब्रांड जल्द ही भारतीय बाजार में लोकप्रिय हो गया और धीरूभाई ने अपनी पहचान स्थापित की.

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विस्तार और सफलता

धीरूभाई ने टेक्सटाइल के साथ-साथ पेट्रोकेमिकल, रिफाइनिंग और अन्य क्षेत्रों में भी विस्तार किया. उन्होंने न केवल व्यवसाय को बढ़ाया बल्कि लाखों लोगों को रोजगार के अवसर भी प्रदान किए. उनकी दूरदृष्टि और नेतृत्व क्षमता ने 2000 तक रिलायंस को भारत की नंबर 1 कंपनी बना दिया, जिसकी वैल्यूएशन 62 हजार करोड़ रुपये थी.

विरासत और प्रेरणा

6 जुलाई 2002 को धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया, लेकिन उनकी विरासत उनके बेटे मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी ने आगे बढ़ाई. आज रिलायंस इंडस्ट्रीज की वैल्यू 16.60 लाख करोड़ रुपये है, और मुकेश अंबानी दुनिया के सबसे अमीर लोगों में गिने जाते हैं.