Green Hydrogen: अडानी न्यू इंडस्ट्रीज लिमिटेड (ANIL) ने सोमवार को भारत के पहले ऑफ-ग्रिड 5 मेगावाट ग्रीन हाइड्रोजन पायलट प्लांट के सफल कमीशनिंग की घोषणा की। यह अत्याधुनिक प्लांट गुजरात के कच्छ क्षेत्र में स्थापित किया गया है और यह देश की स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।
पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस प्लांट की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर आधारित है और बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) से लैस है। इससे यह प्लांट पूरी तरह ऑफ-ग्रिड रहकर भी काम करने में सक्षम है, जो विकेन्द्रीकृत और अक्षय ऊर्जा से संचालित हाइड्रोजन उत्पादन का एक नया मॉडल प्रस्तुत करता है।
भारत का पहला ऑटोमैटिक ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट शुरू
ANIL का यह पायलट प्लांट भारत का पहला ऐसा ग्रीन हाइड्रोजन केंद्र है जिसमें पूर्णतः स्वचालित, क्लोज्ड-लूप इलेक्ट्रोलाइज़र सिस्टम लगाया गया है। यह सिस्टम रीयल टाइम में सौर ऊर्जा की उपलब्धता के अनुसार काम करता है और इसके कारण ऊर्जा की अस्थिरता के बावजूद सुरक्षा, कार्यक्षमता और प्रदर्शन में कोई समझौता नहीं होता।
यह उपलब्धि अडानी समूह की नवाचार, दूरगामी विकास और ग्रीन हाइड्रोजन क्षेत्र में नेतृत्व की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह न केवल भारत को ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि कठिन-से-कठिन औद्योगिक क्षेत्रों में भी ग्रीन एनर्जी के उपयोग का मानक तय करता है।
भारत की नेट-जीरो यात्रा का अगला पड़ाव
यह पायलट प्रोजेक्ट अडानी के आगामी ग्रीन हाइड्रोजन हब, मुंद्रा की नींव को भी मजबूत करता है जो भारत के कार्बन उत्सर्जन को कम करने में अहम भूमिका निभाएगा। ग्रीन हाइड्रोजन को उर्वरक, रिफाइनिंग और भारी परिवहन जैसे क्षेत्रों में प्रदूषण घटाने और वैश्विक नेट-जीरो लक्ष्य हासिल करने में क्रांतिकारी भूमिका निभाने की उम्मीद है।
यह पहल भारत सरकार की राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन (NGHM) के तहत आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूती देती है जिसका उद्देश्य ऊर्जा आयात पर निर्भरता घटाना, ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाना और उद्योगों के अकार्बनीकरण को गति देना है।