उत्तर प्रदेश के औरैया में एक मुस्लिम शख्स ने एक हिंदू महिला, जिसके साथ वह 30 साल से पति-पत्नी की तरह रह रहा था. उसकी मौत के बाद उसे दफनाया नहीं बल्कि उसे मुक्तिधाम ले जाकर जलाया.
महिला का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज के साथ किया. क्योंकि मुस्लिम समाज के उनकी बिरादरी (जाति) के लोगों ने महिला को कब्रिस्तान में दफनाने नहीं दिया था. इसलिए बुजुर्ग ने मजबूरी में महिला का अंतिम संस्कार किया.
अब ये मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है, जहां दिबियापुर थाना क्षेत्र के असेनी में वाकर अली की साथ रहने वाली 55 साल की भागवती की मौत हो गई थी. भागवती काफी दिन से बीमार थीं और बीमारी के चलते ही उनकी मौत हो गई. जब महिला का आखिरी वक्त आया और वाकर उन्हें दफनाने की तैयारी करने लगा तो उनकी बिरादरी के लोगों ने उन्हें भागवती को कब्रिस्तान में दफनाने से मना कर दिया.
महिला का अंतिम संस्कार किया
दरअसल, बिरादरी के लोगों का कहना था कि भागवती ने निकाह नहीं किया था और बिना निकाह के उसे दफनाया नहीं जा सकता. ऐसे में वाकर अली ने भागवती को विदा करने के लिए हिंदू-रीति रिवाज का सहारा लिया और उसी के मुताबिक भागवती का अंतिम संस्कार किया. वाकर अली पिछले 30 साल से असेनी में रहे हैं. हालांकि वह रसूलाबाद थाना क्षेत्र उसरी विला गांव के रहने वाले हैं. लेकिन वह रहते असेनी में हैं और यहीं उनके साथ रहने वाली भागवती की बीमारी के चलते मौत हो गई.

महिला ने निकाह नहीं किया था
महिला और वाकर अली का एक बेटा भी था. जब वाकर अली के बेटे की मौत हो गई थी. तब उन्होंने अपने बेटे को कब्रिस्तान में ही दफनाया था. लेकिन अब भागवती को कब्रिस्तान में दफनाने से उनके बिरादरी वालों ने इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि महिला ने निकाह नहीं किया था. इसलिए उन्हें कब्रिस्तान में दफनाया नहीं जाएगा. इसलिए वाकर ने महिला का हिंदू-रिवाज से अंतिम संस्कार किया. हिंदू समुदाय के लोगों ने आगे आकर वाकर अली की मदद की और भागवती को मुक्तिधाम ले जाकर उन्हें जलाया गया.