
कालभैरव पूजा सामग्री
Ashad Kalashtami 2025: हिन्दू धर्म में कालाष्टमी पर्व का बहुत महत्व होता है. इस दिन काल भैरव की पूजा की जाती है. काल भैरव भगवान शिव के रौद्र स्वरूप हैं और इनकी पूजा में कुछ विशेष चीजों को शामिल करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है, ताकि आपकी कामनाएं पूर्ण हो सकें और पूजा सफल हो. यदि ये चीजें पूजा में शामिल न की जाएं, तो कामना अधूरी रह सकती है. काल भैरव की पूजा में पवित्रता, श्रद्धा और कुछ विशेष सामग्री का बहुत महत्व है. इन्हें शामिल करने से बाबा प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट हरते हैं.
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 18 जून को दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी और 19 जून को सुबह 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. कालाष्टमी की पूजा रात में की जाती है, इसलिए इसका व्रत 18 जून को ही रखा जाएगा.
पूजा में जरूर शामिल करें ये चीजें
- सरसों का तेल और दीपक: सरसों का तेल काल भैरव को अत्यंत प्रिय है. इसे उनका पसंदीदा पदार्थ माना जाता है. दीपक प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है, और यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है. काल भैरव की पूजा में सरसों के तेल का दीपक अवश्य जलाएं. यह दीपक रात भर जलता रहे तो और भी शुभ माना जाता है.
- काले तिल: काले तिल का संबंध शनि देव और पितरों से भी है. काल भैरव की पूजा में इनका उपयोग शनि और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों को शांत करता है. भोग में या अर्घ्य देते समय काले तिल का प्रयोग करें. कुछ लोग काले तिल और गुड़ के लड्डू भी अर्पित करते हैं.
- उड़द की दाल और उससे बनी चीजें: उड़द की दाल को काल भैरव से संबंधित माना जाता है. उड़द की दाल से बनी चीजें, जैसे उड़द दाल के वड़े या कढ़ी-चावल (जिसमें उड़द दाल का प्रयोग होता है), काल भैरव को भोग के रूप में अवश्य चढ़ाएं.
- जलेबी या इमरती: ये मिठाइयां काल भैरव को अत्यंत प्रिय हैं. इन्हें भोग लगाने से बाबा शीघ्र प्रसन्न होते हैं. ताजी जलेबी या इमरती खरीदकर या घर पर बनाकर भोग के रूप में अर्पित करें.
- मदिरा: कुछ तांत्रिक या अघोरी परंपराओं में काल भैरव को मदिरा का भोग लगाया जाता है. हालांकि, यह सामान्य गृहस्थों के लिए आवश्यक या अनुशंसित नहीं है. यदि आप इस परंपरा का पालन करते हैं और आपका गुरु इसकी अनुमति देता है, तो ही इसका उपयोग करें. सामान्य गृहस्थ पूजा में इसे पूरी तरह से वर्जित मानें. सात्विक पूजा के लिए सात्विक भोग ही पर्याप्त है.
- फूल: फूल देवताओं को प्रसन्न करते हैं. लाल रंग भैरव जी को प्रिय है. काल भैरव को लाल या काले रंग के फूल जैसे गुड़हल, कनेर आदि अर्पित करें.
- सिंदूर या कुमकुम: यह तिलक के लिए प्रयोग होता है. काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर को सिंदूर या कुमकुम का तिलक लगाएं.
- काले कुत्ते को भोजन: काला कुत्ता काल भैरव का वाहन है. उसे भोजन कराना काल भैरव को सीधे प्रसन्न करने के समान है. इसे पूजा का एक अनिवार्य अंग माना जा सकता है. पूजा के बाद या दिन में किसी भी समय किसी काले कुत्ते को दूध, रोटी, बिस्कुट या भोग में चढ़ाई गई मिठाई खिलाएं.
- काल भैरव मंत्र और अष्टक: मंत्रों का जाप और अष्टक का पाठ देवताओं को प्रसन्न करने का सबसे प्रभावी तरीका है. पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं” या “ॐ कालभैरवाय नमः” जैसे मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करें. बटुक भैरव अष्टक या काल भैरव अष्टक का पाठ भी करें.
- गंगाजल और शुद्ध जल: अभिषेक और अर्घ्य के लिए. काल भैरव को जल और गंगाजल मिलाकर अर्घ्य दें या अभिषेक करें.
इन चीजों का रखें ध्यान
यदि आप गृहस्थ हैं और तामसिक पूजा नहीं करते, तो पूरी तरह से सात्विक पूजा करें. लहसुन-प्याज का भोग में प्रयोग न करें. पूजा स्थान और स्वयं की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें. सबसे महत्वपूर्ण आपकी श्रद्धा और विश्वास है. बिना इसके कोई भी सामग्री या कर्म अधूरा ही है. इन चीजों को काल भैरव की पूजा में शामिल करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं, आपके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं, भय का नाश होता है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.