India Drone Warfare: 21वीं सदी की जंग अब सिर्फ बंदूकों और बमों की नहीं रही। आज की जंगें हवा में लड़ी जा रही हैं, वो भी बिना किसी पायलट के। ड्रोन या कहें “हवा के शैतान” दुनिया के युद्धक विमानों की नई परिभाषा बन चुके हैं।
एक ऐसा यंत्र जो न जमीन छूता है, न कॉकपिट में इंसान बैठता है, लेकिन दुश्मन के इलाके में कहर बनकर टूटता है। अमेरिका का MQ-9 Reaper हो या तुर्की का Bayraktar TB2, चीन का Wing Loong II हो या रूस का Orion हर देश इन ड्रोन को अपनी ताकत की ‘हवा’ मानने लगा है। लेकिन जब यही ड्रोन भारत के खिलाफ उतारे गए तो नतीजा ऐसा निकला जिसे देखकर पूरी दुनिया चौंक गई। भारत ने इन ‘घातक’ ड्रोन को ऐसे गिराया, जैसे बच्चा गुब्बारे फोड़ता है। अब सवाल उठ रहा है कि क्या जिन ड्रोन को अगली जंग का ‘परमाणु बटन’ कहा जा रहा था, वो सिर्फ प्रचार का बुलबुला थे? और अगर हां, तो भारत की मिसाइल रक्षा प्रणाली ने कैसे इन्हें बेनकाब कर दिया?
ड्रोन की दुनिया में तीन शेर और एक हाथी
दुनिया के सैन्य विशेषज्ञ मानते हैं कि तुर्की, चीन और रूस तीन ऐसे देश हैं जिन्होंने अपने ड्रोन प्रोग्राम को सिर्फ एक टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि कूटनीतिक हथियार बना दिया। तुर्की का Bayraktar TB2 तो यूक्रेन युद्ध के दौरान इतना पॉपुलर हो गया कि कई अफ्रीकी और एशियाई देशों ने आंख बंद कर ऑर्डर दे दिया। रूस का Orion और चीन का Wing Loong II भी कई बाजारों में MQ-9 Reaper के सस्ते विकल्प के रूप में छा गए। लेकिन इस सारे शोर-शराबे के बीच भारत चुपचाप कुछ और ही कर रहा था। भारत अपने डिफेंस सिस्टम को ऐसा बना रहा था जो इन ‘हवा के शैतानों’ को पहचान कर उन्हें हवा में ही खत्म कर दे। और जब पाकिस्तान ने भारत पर हमला करते हुए तुर्की और चीन के ड्रोन इस्तेमाल किए, तो वो सारे दावे और डेटा ध्वस्त हो गए।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ और ड्रोन की तबाही
भारत-पाक के बीच हुए “ऑपरेशन सिंदूर” में पाकिस्तान ने तुर्की से मिले Bayraktar TB2 और चीन से मिले Wing Loong II ड्रोन को भारत की सीमाओं में भेजा। मकसद था भारतीय एयर डिफेंस को चकमा देना और युद्ध की शुरुआत से पहले सामरिक बढ़त लेना। लेकिन जो हुआ, उसने पूरी दुनिया के ड्रोन एक्सपर्ट्स की नींद उड़ा दी। भारतीय वायुसेना ने ‘आकाशतीर’ नामक स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम से इन सभी ड्रोन को हवा में ही ढेर कर दिया। ना कोई ड्रोन भारतीय क्षेत्र में घुस सका, ना कोई निशाना साध पाया। सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि इस सिस्टम ने लगभग 300 से ज्यादा ड्रोन को कुछ ही घंटों में खत्म कर दिया।
‘हवा के शैतान’ बने कूड़ा
इस घटनाक्रम के बाद तुर्की, चीन और रूस की डिफेंस इंडस्ट्रीज में खलबली मच गई। जिन हथियारों को वह ग्लोबल मार्केट में ‘गेम चेंजर’ कहकर बेच रहे थे, वो भारत में महज टारगेट प्रैक्टिस बनकर रह गए। खासकर तुर्की के लिए यह करारी शिकस्त थी, क्योंकि उसके राष्ट्रपति एर्दोगन खुद अपने दामाद की कंपनी Baykar को इस्लामी दुनिया का रक्षक बताकर प्रचारित कर रहे थे। अब वही ड्रोन भारत में ध्वस्त होकर पड़े हैं, और दुनिया देख रही है। चीन के लिए भी यह झटका कम नहीं। Wing Loong II, जो कि MQ-9 Reaper का सस्ता क्लोन माना जाता था, भारत के रडारों से बच ही नहीं पाया। ऐसे में चीन के उन दर्जनों देशों के साथ हुए डिफेंस डील पर भी असर पड़ सकता है जो इसे अमेरिका के विकल्प के तौर पर देख रहे थे।
भारत का ‘आकाशतीर’: असली सुपरस्टार
जिस टेक्नोलॉजी ने ये कारनामा किया, उसका नाम है आकाशतीर। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा विकसित यह सिस्टम भारतीय सेना और वायुसेना के रडार से जुड़कर एकीकृत एयर डिफेंस नेटवर्क बनाता है। इसकी खासियत है इसकी स्पीड और सटीकता। जैसे ही ड्रोन सीमा के पास आते हैं, यह सिस्टम उन्हें पहचानता है, ट्रैक करता है और खुद ही हथियारों को टारगेट पर लगा देता है। यह इतना सक्षम है कि छोटे से छोटे loitering munition को भी हवा में ही नष्ट कर देता है। अमेरिकी एक्सपर्ट्स तक अब इसकी तुलना इजराइल के आयरन डोम से करने लगे हैं।
ग्लोबल असर: ऑर्डर कैंसिल, शक गहराया
ऑपरेशन सिंदूर के बाद तुर्की और चीन को झटका सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि आर्थिक भी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अफ्रीका और मध्य एशिया के कई देशों ने Bayraktar TB2 और Wing Loong II के ऑर्डर या तो होल्ड कर दिए हैं या कैंसिल करने का विचार कर रहे हैं। इस बीच भारत अब खुद को एक विश्वसनीय एयर डिफेंस सप्लायर के रूप में प्रस्तुत कर रहा है। भारत के पास अब न केवल खुद की सुरक्षा की मजबूत दीवार है, बल्कि एक ऐसा प्रोडक्ट भी है जो ग्लोबल मार्केट में तुर्की और चीन का विकल्प बन सकता है।
क्या ड्रोन सच में परमाणु बटन हैं?
अब जब ये सवाल उठ रहा है कि ड्रोन अगली जंग का ‘परमाणु बटन’ हैं, तो भारत ने इसका जवाब अपने तरीके से दे दिया है। तकनीक कितनी भी खतरनाक क्यों न हो, अगर डिफेंस सिस्टम मजबूत हो तो वह तकनीक भी सिर्फ एक खिलौना बनकर रह जाती है। भारत ने न केवल ड्रोन के आतंक को नकारा है, बल्कि दुनिया को ये भी दिखा दिया है कि ग्लोबल डिफेंस मार्केट अब पश्चिम या इस्लामी प्रचार के भरोसे नहीं चलेगा। आखिर में, जब ‘हवा के शैतान’ भारतीय जमीन पर आकर मलबे में बदल जाते हैं, तो यह सिर्फ एक युद्ध की जीत नहीं होती यह तकनीक, रणनीति और आत्मनिर्भरता की जीत होती है। और शायद यही वह संकेत है कि अब नया डिफेंस सुपरपावर उभर चुका है नाम है भारत।