अगर आप आज वट सावित्री व्रत की पूजा कर रही हैं, तो ये हैं कुछ शुभ मुहूर्त: सुबह का चौघड़िया मुहूर्त 8 बजकर 52 मिनट से 10 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. इसके बाद, अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 51 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. दोपहर में भी 3 बजकर 45 मिनट से 5 बजकर 28 मिनट तक पूजा का शुभ समय है. आप इन समयों में अपनी पूजा और दूसरे शुभ काम कर सकती हैं.
वट सावित्री व्रत की पूजा कैसे करें?
इस व्रत को करने का तरीका यहाँ बताया गया है: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के कपड़े पहनें. महिलाएं सोलह शृंगार ज़रूर करें. पूजा के लिए सावित्री और सत्यवान की तस्वीर, जल, अक्षत, रोली, मौली, धूप, दीप, फल, फूल-माला और घर की बनी मिठाई जैसी ज़रूरी चीजें इकट्ठा कर लें.
अपने आस-पास किसी वट वृक्ष (बरगद के पेड़) के पास जाएं और पेड़ की जड़ में जल चढ़ाएं. फिर पूरे विधि-विधान से पूजा करें. वट वृक्ष के चारों ओर मौली का धागा सात बार लपेटें, और हर परिक्रमा के साथ अपने पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करें. सावित्री और सत्यवान की कथा सुनें या पढ़ें. आखिर में आरती करें और पूजा में हुई किसी भी भूल-चूक के लिए माफ़ी मांगें. पूजा के बाद प्रसाद से अपना व्रत खोलें.
वट सावित्री व्रत में भोग और मंत्र
वट सावित्री की पूजा में कई तरह के फल और मिठाइयां चढ़ाई जाती हैं. इनमें आम, केला, खजूर और दूसरे मौसमी फल शामिल हैं. कई जगहों पर इस दिन पूरी, हलवा और चने की दाल का भोग भी चढ़ाया जाता है.
पूजा करते समय आप इन मंत्रों का जाप कर सकती हैं:
- ॐ सावित्र्यै नमः
- ॐ सत्यवानाय नमः
- वट सिंचामि ते मूलं सलिलैरमृतोपमैः । यथा शाखाप्रशाखाभिर्वृद्धोऽसि त्वं महीतले ।तथा पुत्रैश्च पौत्रैश्च सम्पन्नं कुरु मां सदा ॥