बार-बार यूरिन आने वाली समस्या को न करें नजरअंदाज, हो सकती हैं ये बड़ी बीमारियां! “ • ˌ

Do not ignore the problem of frequent urination, these serious diseases can occur!Do not ignore the problem of frequent urination, these serious diseases can occur!
Do not ignore the problem of frequent urination, these serious diseases can occur!

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बार-बार यूरिन यानी पेशाब आना एक सामान्य समस्या लग सकती है, लेकिन यह आपकी सेहत के बारे में गंभीर संकेत दे सकती है. अगर आप दिनभर बार-बार टॉयलेट का रुख करते हैं या रात में भी कई बार उठकर यूरिन करते हैं, तो इसे अनदेखा न करें. यह आपके शरीर में हो रहे कुछ बड़े बदलावों का संकेत हो सकता है.

एक हेल्दी व्यक्ति दिन में 6-7 बार यूरिन करता है और दिन में 4 से 10 बार तक यूरिन जाना भी सामान्य माना जाता है. रात में सामान्यतः एक बार या बिल्कुल भी यूरिन नहीं आना चाहिए. लेकिन अगर आप इससे ज्यादा बार यूरिन जा रहे हैं, तो यह किसी समस्या का संकेत हो सकता है.

बार-बार यूरिन आने के कारण
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI): अगर यूरिन करते समय जलन या दर्द हो रहा है, तो यह यूटीआई का संकेत हो सकता है.
डायबिटीज: बार-बार यूरिन जाना अनियंत्रित ब्लड शुगर का लक्षण हो सकता है.
ओवरएक्टिव ब्लैडर: बार-बार यूरिन जाने की इच्छा लेकिन कम मात्रा में यूरिन होना ओवरएक्टिव ब्लैडर का संकेत हो सकता है.
गर्भावस्था: प्रेग्नेंसी के दौरान हार्मोनल बदलाव और ब्लैडर पर दबाव के कारण यह समस्या हो सकती है.
ज्यादा पानी या कैफीन का सेवन: ज्यादा पानी, चाय, कॉफी या शराब पीने से भी यूरिन की संख्या बढ़ सकती है.

कम यूरिन आने के कारण
डिहाइड्रेशन: पर्याप्त मात्रा में पानी न पीने से यूरिन की संख्या घट जाती है.
किडनी की समस्या: किडनी स्टोन या संक्रमण यूरिन की संख्या को प्रभावित कर सकता है.
यूरिनरी रिटेंशन: प्रोस्टेट या नसों से जुड़ी समस्याओं के कारण ब्लैडर पूरी तरह खाली नहीं हो पाता.

कब लें डॉक्टर की सलाह?
अगर अचानक यूरिन की संख्या में बदलाव हो या यूरिन करते समय दर्द, जलन या खून नजर आए, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. यूरिन का रंग हल्का पीला होना चाहिए. गहरे पीले या लाल रंग का यूरिन किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है.

ब्लैडर को हेल्दी रखने के टिप्स
* रोजाना 8-10 गिलास पानी पिएं.
* चाय, कॉफी और शराब का सेवन कम करें.
* पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करें.
* बैलेंस डाइट लें और नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियां करें.