GST Council की 55वीं बैठक का आयोजन जैसलमेर में किया गया था. इस दौरान कई बड़े फैसले लिए गए हैं. इसी फैसले से जुड़ा एक मुद्दा पॉपकॉर्न पर जीएसटी लगाना है. शनिवार 21 दिसंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की घोषणा के बाद एक तरफ सोशल मीडिया पर मीम्स का सैलाब उमड़ पड़ा है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे आड़े हाथों लिया है. सरकार इसे लेकर सफाई दे रही है. उनका कहना है कि पॉपकॉर्न पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया गया है. पॉपकॉर्न पर सिर्फ लागू दरों को स्पष्ट किया गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ सेक्टर इस पर अलग-अलग टैक्स रेट की मांग कर रहे थे.
विपक्ष हैं हमलावर
कांग्रेस इस मौके का फायदा उठाकर सरकार पर लगातार सवाल दाग रही है. कांग्रेस का कहना है कि GST लाने का मकसद अच्छा और आसान टैक्स व्यवस्था लागू करना था, लेकिन इसकी जटिलताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. यह एक गंभीर मुद्दा है. सोशल मीडिया पर भी लोग एक ही आइटम पर तीन तरह की जीएसटी दरें लागू किए जाने पर नाराजगी जता रहे हैं. मीम्स बनाने वाले 18 प्रतिशत की दर को लेकर खासे नाराज हैं. उद्योग क्षेत्र का भी यही मानना है कि कई दरों से भ्रम की स्थिति पैदा होती है. इस टैक्स को समझना भी बड़ा जटिल हो जाता है.
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पॉपकॉर्न पर तीन दरें इस प्रकार है-
- खुला नमक मिश्रित पॉपकॉर्न पर 5% की दर से जीएसटी.
- पैक व लेबल्ड रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 12% की दर से जीएसटी.
- चीनी के साथ मिश्रित कारमेल पॉपकॉर्न पर 18% प्रतिशत की दर से जीएसटी.
FMCG एक्सपर्ट विकास सूरी ने कहा कि वित्त मंत्री ने शनिवार को साफ किया कि खुले पॉपकॉर्न पर 5% GST, वहीं पहले से पैक व लेबल्ड रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न पर 12% जीएसटी लगेगा. वहीं चीनी कारमेल पॉपकॉर्न पर 18% जीएसटी लागू होगी. वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक मौजूदा कर दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है. काउंसिल ने यह भी तय किया है कि केंद्रीय इनडायरेक्ट टैक्स और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) पॉपकॉर्न के लिए मौजूदा टैक्स नियमों पर और स्पष्टता देने के लिए एक सर्कुलर जारी करेगा.
रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न
मौजूदा समय में रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न, जो आमतौर पर नमक और मसालों के साथ मिलाकर तैयार किया जाता है और इसमें नमकीन की विशेषताएं होती हैं. यदि यह पहले से पैक और लेबल नहीं है तो इस पर 5% जीएसटी लगेगा. यदि यह पहले से पैक और लेबल है तो जीएसटी दर 12% होगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नमकीन और सादे पॉपकॉर्न पर जीएसटी की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
कारमेल पॉपकॉर्न पर ज्यादा जीएसटी जबकि, कारमेल पॉपकॉर्न चीनी कन्फेक्शनरी की विशेषताओं को अपना लेता है. इसे HS कोड 1704 90 90 के तहत वर्गीकृत किया जाता है, जिस पर 18% जीएसटी लागू किया गया है. कारमेल पॉपकॉर्न पर ज्यादा GST का कारण बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि इसमें मिलाई गई चीनी इसे कार्बोनेटेड पेय पदार्थों के समान एक अलग श्रेणी में रखती है, जिस पर संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के कारण उच्च दरों पर कर लगाया जाता है.
पॉपकॉर्न कारोबार का व्यापार
भारत ही नहीं बल्कि पॉपकॉर्न दुनियाभर में बड़ा कारोबार कर रहा है. पिछले कुछ सालों में पॉपकॉर्न बिजनेस पर जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में करीब 1200 करोड़ रुपये का पॉपकॉर्न का बिजनेस भारत में हुआ था. यह साल 2030 तक बढ़कर 2600 करोड़ रुपये का आकार ले लेगा. वहीं पूरी दुनिया के बाजार में इसका मार्केट बढ़कर तकरीबन 8 अरब डॉलर से ज्यादा का हो गया है. अगले पांच-छह साल में दोगुना होने का अनुमान है.