अभी अभीः भक्तों को नामर्द बनाने के मामले में राम रहीम को लेकर आई बडी खबर-जानकर लगेगा झटका “ • ˌ

BIG NEWS: Big news has come once again about Ram Rahim, from inside the jail...
BIG NEWS: Big news has come once again about Ram Rahim, from inside the jail…

इस खबर को शेयर करें

Latest posts by Sandeep Chaudhary (see all)

चंडीगढ़। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम के खिलाफ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में फिर से केस चलेगा। क्योंकि पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट ने साधुओं को ईश्वर से मिलवाने के नाम पर नपुंसक बनाने के मामले में केस डायरी सौंपने के आदेश को रद्द कर दिया है।

हरियाणा के रोहतक की सुनारिया जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। साधुओं को ईश्वर से मिलवाने के नाम पर नपुंसक बनाने के मामले में शुक्रवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने साधुओं को नपुंसक बनाने से जुड़े मामले की केस डायरी डेरा मुखी को सौंपने के सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले को पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने मामला दोबारा सीबीआई स्पेशल कोर्ट को भेजते हुए नए सिरे से इस पर निर्णय लेने का आदेश दिया है।

सीबीआई ने 2019 में हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती दी थी। सीबीआई कोर्ट ने राम रहीम को अपना बचाव तैयार करने के लिए यह केस डायरी, गवाहों के बयान और अन्य दस्तावेज उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने ही डेरे में साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था। सीबीआई ने मामले की जांच कर हाईकोर्ट में सीलबंद स्टेटस रिपोर्ट दे दी थी। यह केस अब पंचकूला की सीबीआई ट्रायल कोर्ट में चल रहा है।

ट्रायल कोर्ट ने 2019 में डेरा मुखी की एक अर्जी पर इस मामले की केस डायरी उसे सौंपने का सीबीआई को आदेश दिया था। सीबीआई ने इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उच्च न्यायलय ने कहा कि सीबीआई की विशेष अदालत का यह आदेश गलत था। पुलिस को दिए गए बयानों की कोई अहमियत नहीं होती है, ऐसे में 87 गवाहों की गवाही राम रहीम को सौंपने का कोई औचित्य नहीं है।

स्पेशल कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए इस बात पर गौर नहीं किया कि जो दस्तावेज मांगे जा रहे हैं असल में उनको उपलब्ध करवाने का औचित्य क्या है। ऐसे में अब हाई कोर्ट आदेश को रद्द करता है और मामला दोबारा सीबीआई कोर्ट को भेजता है ताकि इन तथ्यों पर विचार करके नए सिरे से निर्णय लिया जाए।