एक छोटे से गांव का नन्हा सा छात्र, जो सातवीं कक्षा में पढ़ता था, अपनी स्कूल की पढ़ाई और छोटे-मोटे खेल-कूद में मशगूल था। लेकिन एक दिन, उसकी ज़िंदगी में ऐसा पल आया जिसने पूरे गांव को हड़कंप मचा दिया।
मांगलिक सुबह, जब वह अपने खाते का बैलेंस चेक करने साइबर कैफे पहुंचा, तो स्क्रीन पर अचानक एक ऐसी रकम चमक उठी जिसे कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था—87 करोड़ 65 लाख रुपये! जैसे झूठी कहानी में हो कोई जादू, पर यह पूरी हकीकत थी।
पहले तो लड़का खुद दंग रह गया और फिर जैसे ही उसने अपने परिवार को बताया, तो गांव में खुशी और आश्चर्य का माहौल फैल गया। हर कोई उसे अरबपति समझने लगा। लेकिन खुशी ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी। कुछ ही मिनटों में, वह विशाल रकम गायब हो गई और उसके खाते को फ्रीज कर दिया गया।
खाता फ्रीज होते ही सवाल उठने लगे—ये पैसे कैसे आए? किसने भेजे? आखिर क्यों इतने बड़े पैसों का रहस्य ऐसा अंधकारमय है? बैंक का मैनेजर और छात्र का परिवार दोनों ही चुप्पी साधे हुए थे, कहीं एक छुपा हुआ खेल तो नहीं चल रहा?

गांव के लोग तो सोचने लगे कि शायद यह चमत्कार था, या कोई साइबर गलती। लेकिन सच तो फिर भी छिपा रह गया। बच्चे के माता-पिता ने फोन बंद कर लिए और बैंक कोई ठोस जवाब नहीं दे पाया।
लेकिन अंत क्या हुआ?
जांच एजेंसियां कड़ी मेहनत में लग गईं। खाता फ्रीज रह गया, और पैसे वापस बैंक के सिस्टम में लौट आए। छात्र और उसके परिवार की ज़िंदगी फिर से सामान्य हो गई, लेकिन वह घटना पूरे इलाके में एक रहस्यमय किस्से की तरह गूंजती रही।
कहानी का पाठ:
कभी-कभी ज़िंदगी हमें ऐसे झटके देती है, जो चकित कर दें—अचानक छप्पर फाड़ के दौलत आ जाए तो भी होश संभालना ज़रूरी होता है। पैसों का भूटा जादू बड़ा हो सकता है, लेकिन असली संपत्ति होती है जज़्बातों और शांत मन की। और सबसे बड़ी बात, बड़े खेलों के पीछे छुपे रहस्यों को समझना हमेशा जरूरी है।
यह कहानी हमें याद दिलाती है कि कभी भी बड़ी खुशियों के साथ धैर्य और समझदारी जरूरी होती है, क्योंकि हर चमकती चीज़ सोना नही होती।