गर्भनिरोधक गोली खाने से 27 साल की लड़की का हुआ ऐसा हालः डॉक्टरों के छूटे पसीने.. ˌ

गर्भनिरोधक गोली खाने से 27 साल की लड़की का हुआ ऐसा हालः डॉक्टरों के छूटे पसीने.. ˌ

नई दिल्ली। मुंबई में 27 वर्षीय एक महिला को दिल का दौरा पड़ा. वह पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS) से पीड़ित थी और उससे निपटने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां ले रही थी. PCOS एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जिसका जो अनियमित मासिक धर्म और अंडाशय में सिस्टम का कारण बनता है. जानकारी के मुताबिक, लड़की को 10 साल से पीसीओएस की शिकायत थी और वह करीब 7 साल से गर्भनिरोधक गोलियां खा रही थी. दरअसल, इतने लंबे समय तक गोलियों का सेवन करना उसके लिए खतरनाक साबित हुआ.

पायल के मुताबिक, वह लगभग एक दशक तक पीसीओएस से जूझती रही और उसके स्त्री रोग विशेषज्ञ ने उसे सात साल तक गर्भनिरोधक गोलियां लेने की सलाह दी थी. इस कारण वह ये गोलियां लेती थी. डॉक्टर ने हार्ट अटैक का कारण गर्भनिरोधक गोली को बताया है.

क्या था पूरा मामला

पेशे सॉफ्टवेयर इंजीनियर रही लड़की को 2 जून को एसिडिटी की शिकायत हुई जिसके कारण उसे आधी रात को सीने में तेज दर्द हुआ और उसकी हालत बिगड़ गई. बाद में जब हॉस्पिटल पहुंची तो डॉक्टर ने बताया कि उसे हार्ट अटैक आया था.

मुंबई के सैफी हॉस्पिटल के हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. कौशल छत्रपति ने 3 जून की सुबह लड़की को स्टेंट लगाया था. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया, ‘जब लड़की को रात में हॉस्पिटल लाया गया था तो उसकी ईसीजी रिपोर्ट सही नहीं आई थी और उससे उन्हें पता चला था कि लड़की को दिल का दौरा पड़ा है.’

‘गर्भनिरोधक गोलियां लड़की को हार्ट अटैक का कारण बनी थीं जो वह पिछले 7 साल से पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम के लिए ले रही थी. इन गोलियों के कारण उसके खून में थक्के बन गए थे जिस कारण उसे दिल के दौरे की शिकायत हुई.’

क्या कहती हैं रिसर्च और एक्सपर्ट?

‘द बीएमजे’ मेडिकल जर्नल में पब्लिश हुई डेनमार्क की एक स्टडी के मुताबिक, सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली हार्मोनल गर्भनिरोधक-कॉम्बिनेशन एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन गोली, इस्केमिक स्ट्रोक और दिल के दौरे के जोखिम को दोगुना कर सकती हैं.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. किरण कोएलो का कहना है, ‘ गर्भनिरोधक गोलियों के कारण दिल के दौरे की तुलना में स्ट्रोक अधिक आम हैं. मैंने पीसीओएस से पीड़ित 22 वर्षीय और 28 वर्षीय महिलाओं को स्ट्रोक का सामना करते देखा है लेकिन महिलाओं को ओव्यूलेशन को दबाने के लिए गोलियों की आवश्यकता होती है जिससे उनके अंडाशय में सिस्ट की संख्या कम हो जाती है.’

‘शहरी महिलाओं में तनाव का स्तर बहुत अधिक होता है और बचपन में मोटापा पुराने समय की तुलना में काफी अधिक बढ़ गया है. ये कारक भारत के शहरों में में पीसीओएस के जोखिम को बढ़ाते हैं, जहां हर 5 में से 1 लड़की को इसकी शिकायत है.’

नानावटी अस्पताल के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. राजीव भागवत का कहना है, ‘यह तो सभी जानते हैं कि गर्भनिरोधक गोलियां थ्रोम्बोसिस (रक्त का थक्का बनना) को बढ़ा सकती हैं, लेकिन डॉक्टरों के लिए इन गोलियों को लिखने से पहले महिला की हार्ट हेल्थ की फैमिली हिस्ट्री को जानना भी काफी जरूरी होता है. आजकल के युवाओं में हार्ट डिसीज का एक बहुत बड़ा कारण फैमिली हिस्ट्री भी है.’

गर्भ निरोधकों से जुड़े दिल के दौरे का खतरा 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं, धूम्रपान करने वालों और हृदय रोग के अन्य जोखिम कारकों जैसे हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, हाई हीमोग्लोबिन लेवल और बहुत अधिक प्लेटलेट्स वाले लोगों में अधिक होता है.

कैसे पीसीओस से निपटने में मदद करती हैं गर्भनिरोधक गोलियां?

हार्मोनल बर्थ कंट्रोल, जिनमें एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टिन दोनों होते हैं वे महिला के हार्मोन को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं जिससे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के कई लक्षण कम होते हैं. पीसीओएस वाली महिलाओं हार्मोनल असंतुलन होता है जो टेस्टोस्टेरोन के असामान्य रूप से उच्च स्तर का कारण बनता है. पीसीओएस बांझपन का एक प्रमुख कारण है.

2021 की एक रिसर्च के मुताबिक, कंबाइन मौखिक गर्भनिरोधक (COCs) PCOS के लिए फर्स्ट-लाइन ट्रीटमेंट है. COCs बर्थ कंट्रोल पिल्स हैं जिनमें 2 हार्मोन होते हैं. ये हार्मोन आमतौर पर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का एक सिंथेटिक रूप होता है जिसे प्रोजेस्टिन कहा जाता है. COCs अंडाशय को अंडा जारी करने से भी रोकते हैं जो गर्भावस्था को रोकता है.

COCs किसी महिला के एस्ट्रोजन के स्तर को बढ़ाकर और उसके शरीर द्वारा प्रोड्यूस किए गए टेस्टोस्टेरोन की मात्रा को कम करके PCOS में हार्मोनल असंतुलन को नियंत्रित कर सकते हैं. 2021 की एक रिसर्च में कहा गया था कि COCs मासिक धर्म चक्र को नियंत्रित कर सकते हैं और हाई टेस्टोस्टेरोन के लेवल के कुछ अन्य लक्षणों को कम कर सकते हैं जैसे कि अत्यधिक बाल उगना और मुंहासे. वे एंडोमेट्रियल कैंसर के जोखिम को भी कम कर सकते हैं.

गर्भनिरोधक गोलियों से कैसे बढ़ता है हार्ट अटैक का जोखिम?

एस्ट्रोजन वाली ओरल बर्थ कंट्रोल पिल्स खून के थक्कों (थ्रोम्बोसिस) के जोखिम को बढ़ाकर दिल के दौरे के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जिससे धमनियों में रुकावट हो सकती है जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है. वे ब्लडप्रेशर भी बढ़ाती हैं जो हार्ट डिसीज का अहम कारण है और ये ब्लड कोलेस्ट्रॉल के लेवल को भी बदलता है. दूसरे शब्दों में मौखिक एस्ट्रोजन की गोलियां एलडीएल या कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (खराब) कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा सकती हैं और एचडीएल या उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (अच्छा) कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकती हैं जिससे हृदय रोग का जोखिम और बढ़ जाता है.

अगर आपको पीसीओएस के लिए मौखिक गर्भनिरोधक लेने की सलाह दी गई है, तो साथ ही कार्डियोलॉजिस्ट से मिलें और अपने हार्ट संबंधी जोखिम कारकों की जांच कराएं और उसके बाद ही सेवन करें.

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