
आज देश भर में दशहरा का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज ही के दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर माता सीता को लेकर अयोध्या आए थे. वही बहुत कम लोगों को जानकारी होगी कि रावण की मौत के बाद मंदोदरी का क्या हुआ था. दरअसल मंदोदरी ने रावण के वध के बाद उनके छोटे भाई और लंका के नए राजा विभीषण से विवाह कर लिया था.
मंदोदरी पूर्व जन्म में मेंढकी थी

पुराणों में कहा गया है कि मंदोदरी पूर्व जन्म में एक मेंढकी थी. एक समय की बात है. सप्तऋषि अपने आश्रम में खीर बना रहे थे. उसी दौरान खीर में एक सांप गिर गया. मेंढ़की मंदोदरी ने यह सब देख लिया. ऋषियों का जीवन बचाने के लिए वह भी गर्म खीर में कूद गई और अपनी जान दे दी. ऋषियों ने मेंढकी को अपनी खीर में कूदते देखा तो उन्हें बहुत क्रोध आया. वे गुस्से में आकर खीर से भरा पतीला फेंक रहे थे. उसी दौरान उन्होंने देखा कि खीर के अंदर सांप भी मरा हुआ था. वे समझ गए कि मेंढकी ने उनका जीवन बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए. उन्होंने मंदोदरी को वापस जीवन दान देकर एक कन्या का रूप दिया. तब से कहा जाता है कि मंदोदरी सप्तऋषियों की संतान थी. वह कन्या सप्तऋषियों के साथ ही रहने लगी. कुछ समय बाद ऋषियों ने सोचा कि एक कन्या का ऋषियों के पास क्या काम. कहीं कोई उनके ऊपर लांछन न लगा दे.
ऋषि कश्यप के पुत्र मायासुर ने किया पालन–पोषण

इसके बाद महान ऋषि कश्यप के पुत्र मायासुर को बुलाया गया और कहा गया कि इस कन्या को तुम अपने पास रखकर देखभाल करो. मायासुर ने वचन दिया कि मंदोदरी को वे अपनी पुत्री ही समझेंगे और उसका पालन करेंगे. बाद में मंदोदरी की शादी लंकापति रावण के साथ हो गई. इस शादी से मंदोदरी को दो पुत्र मेघनाद और अक्षय प्राप्त हुए.
रावण को सीता लौटा देने की सलाह दी

सीता के अपहरण के बाद मंदोदरी ने कई बार रावण को समझाया कि वह सीता को वापस कर दे. इस तरह दूसरे की पत्नी का अपहरण करना लंकेशपति को शोभा नहीं देता है, लेकिन अहंकार और बदले की भावना में चूर रावण ने उनकी एक नहीं सुनी और युद्ध में भगवान श्रीराम के हाथों मारा गया.
मंदोदरी ने विभीषण से किया विवाह

प्रभु श्रीराम ने रावण का वध करने के बाद विभीषण को लंका का नया राजा बनाने की सलाह दी और उन्हें मंदोदरी से विवाह करने का प्रस्ताव दिया. हालांकि मंदोदरी ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और खुद को राज्य से अलग कर लिया. कुछ समय बाद वह विभीषण से विवाह करने पर सहमत हो गईं.